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बदला है तुम्हारा मन क्या?
तारीख बदली है साल बदला है पर बदला है तुम्हारा मन क्या? है जश्न चारों ओर उमंग का न बूझे छोर पर क्या खोज पाए हो अपने मन की डोर? फैला है चहुँओर...
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मैंने अपने छोटे कस्बे में कल, मैले कश्मीर को देखा है.. उसकी खूबसूरती से परे पसरा खौफ देखा है। लाठियों को बरसते देखा है, इंसानियत को तरस...
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अंडररेटेड काम ओवररेटेड सम्मान कुछ और कर पाने में रहे नाकाम इसलिए बन गए शिक्षक राम यही लगता है न तुम्हें? तो सुनो, ये शिक्षक ही ओवररेटेड ज...
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नहीं लिखनी मुझे कोई कविता न ग़ज़ल लिखना चाहती हूं, जिसे सुन तू सुकूं से सो सके मैं वो कहानी बनना चाहती हूं। बनना चाहती हूं रेशमी धागा ज...
Nice one .. यूँ तो सभी को ज़िंदगी में सब पूरा चाइए मगर
ReplyDeleteआधा इश्क़ और आधा चाँद इसका मज़ा कुछ और ही है...
Sach :)
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