Sunday, 9 September 2018

कुछ कहानियां अधूरी-सी ही महकती हैं



कुछ जज्बात 
इनायत से लगते हैं,
कुछ अलफ़ाज़ 
गीली  माटी -सी सौगंध बिखेरते हैं,
कुछ शरारतें 
ताउम्र हसीन लगती हैं,
कुछ वादें 
कबूल-ए-दुआ से लगते हैं....


ख्वाहिश होती है
उन्हें आखिरी छोर तक 
ले जाने की 
पर कुछ कहानियां 
अधूरी-सी ही महकती हैं....  



2 comments:

  1. Nice one .. यूँ तो सभी को ज़िंदगी में सब पूरा चाइए मगर
    आधा इश्क़ और आधा चाँद इसका मज़ा कुछ और ही है...

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