Sunday, 19 August 2018

जाग जाओ...अब तो खुदा भी रूठ रहा है।।

उत्तराखंड में अाई थी बाढ़
अब केरल डूब रहा है
समझे थे कि यहां खुदा बसते हैं
फिर भला ये क्यों हो रहा है!!

नहीं... नहीं..
जवाब की कोई चेष्टा नहीं
देनी तुम्हें कोई कुंठा नहीं
फिर क्यों हो परेशां कि
ये क्या हो रहा है,
ये तो वही है जो
हरवक्त नजरअंदाज हो रहा है।

जानती हूं...जानती हूं
वहां की जमीन में अाई दरारें
तुम्हारे मन के दरीचों को भी सालती हैं,
फिर क्यों करते हम वो गलती
जो भगवान को दोषी ठहराती है।

चलो..
चलो..
उठते हैं अब मैं और तुम
करते हैं वो ठीक
जो हमारे हिस्से से गलत हो रहा है
देखो ना...
अब तो खुद खुदा भी रूठ रहा है।

No comments:

Post a Comment

बदला है तुम्हारा मन क्या?

तारीख बदली है साल बदला है पर बदला है तुम्हारा मन क्या? है जश्न चारों ओर उमंग का न बूझे छोर पर क्या खोज पाए हो अपने मन की डोर? फैला है चहुँओर...