मजबूत होती हैं माएं
पिता तो नाजुक सा होता है
वो खुलकर रो लेती है
पिता रोने से भी डरता है।
पिता तो नाजुक सा होता है
वो खुलकर रो लेती है
पिता रोने से भी डरता है।
स्वेटर बुनती मां है
पिता ऊन लाता है
वो आम की फांके बांटती है
पिता ऊन लाता है
वो आम की फांके बांटती है
पिता आम की मिठास ढूंढ लाता है।
प्रेम की परिभाषा मां के हिस्से
पिता का क्रोध जाना जाता है
वो दुनिया की खूबसूरती सिखलाती है
पिता दुनिया से ही डरता है।
पिता का क्रोध जाना जाता है
वो दुनिया की खूबसूरती सिखलाती है
पिता दुनिया से ही डरता है।
मां अपनी हर उम्र में
एक सी होती है
पर पिता जरूर बदलता है,
जवानी में कठोर
तो बुढ़ापे में नरम सा होने लगता है।
यूं सोचो कि पिता तो आदमी है
फिर भला किससे डरता है!
अंदर की बात ये है कि पिता भी
एक आदमी से ही डरता है।
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