Sunday, 19 June 2022

पिता डरता है

मजबूत होती हैं माएं
पिता तो नाजुक सा होता है 
वो खुलकर रो लेती है 
पिता रोने से भी डरता है। 

स्वेटर बुनती मां है 
पिता ऊन लाता है
वो आम की फांके बांटती है 
पिता आम की मिठास ढूंढ लाता है। 

प्रेम की परिभाषा मां के हिस्से 
पिता का क्रोध जाना जाता है 
वो दुनिया की खूबसूरती सिखलाती है
पिता दुनिया से ही डरता है।

मां अपनी हर उम्र में
एक सी होती है
पर पिता जरूर बदलता है,
जवानी में कठोर
तो बुढ़ापे में नरम सा होने लगता है। 

यूं सोचो कि पिता तो आदमी है
फिर भला किससे डरता है!
अंदर की बात ये है कि पिता भी
एक आदमी से ही डरता है। 

































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