सच है सफर।
झूठ है मंजिलें।
सच है ज्ञानी।
झूठ है सर्वज्ञानी।
सच है नदियां।
झूठ है तालाब।
सच है नजर।
झूठ है आंखें।
सच है मृत्यु।
झूठ है बाकी सब।
तारीख बदली है साल बदला है पर बदला है तुम्हारा मन क्या? है जश्न चारों ओर उमंग का न बूझे छोर पर क्या खोज पाए हो अपने मन की डोर? फैला है चहुँओर...
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