कुछ गुजरा अभी.....
जाना पहचाना सा लगा...
महक भी वही थी..
खनक भी वही थी..
जाने के बाद की
मायूसी भी वही थी...
शायद कोई पुराना किस्सा था,
यां मेरा ही कोई हिस्सा था.....
सोचा रोक लूँ उसे...
जो सवाल उस वक़्त
नहीं पूछ सकी,
आज मांग लूँ
वो जवाब सारे...
पर चले जाने दिया उसे...
रोक लिया मैंने
वही दर्द , वही मायूसी।