Monday, 6 March 2023

कहो कि बुरा लगता है

गुलाल, पिचकारी, गुब्बारे 

गर बाइक पर सवार

कोई भी यूँ ही दे मारे  

तो आँखों में उतार गुलाल 

कहो कि बुरा लगता है। 


होली की मस्ती का सुरूर 

नशे में हो चूर 

गर कोई करे भद्दे मजाक 

तो कानों में उतार गुलाल 

कहो कि बुरा लगता है। 


गुजिया, घेवर, मठरी के साए में 

होली गीतों के फूहड़ लिबास में 

गर कोई करे कैसा भी अपमान

तो तन मन पर चढ़ा गुलाल 

कहो कि बुरा लगता है।  

बदला है तुम्हारा मन क्या?

तारीख बदली है साल बदला है पर बदला है तुम्हारा मन क्या? है जश्न चारों ओर उमंग का न बूझे छोर पर क्या खोज पाए हो अपने मन की डोर? फैला है चहुँओर...