स्त्रियां बड़ी शिद्दत से
घर बटोर ले जाया करती हैं किताबें
कि फुर्सत मिलते ही झट पढ़ लेंगी।
पर हर दफे बिना पन्ने पलटाए
ले आती हैं उन्हें वापस। कमोबेश उनका फुर्सत पाना भी
फुर्सत पाना नहीं होता।
घर बटोर ले जाया करती हैं किताबें
कि फुर्सत मिलते ही झट पढ़ लेंगी।
पर हर दफे बिना पन्ने पलटाए
ले आती हैं उन्हें वापस। कमोबेश उनका फुर्सत पाना भी
फुर्सत पाना नहीं होता।
फुर्सत में वो करती हैं
बहुतरे अंडररेटेड काम।
मसालेदानी में भरने लगती हैं
नमक और हल्दी,
फ्रीज में ढूंढने लगती हैं
परसों गिरी सब्जी के दाग,
पुरानी अखबारों के लिए ढूंढती हैं
एक नई जगह,
सर्द कपड़ों के लिए
छानती हैं पुरानी जगहें
और दसों कामों की फेहरिस्त लिए
घूमती हैं हॉल और किचन के भीतर बाहर।
दरअसल,
स्त्रियां किताबें खोलने से पहले
सिमट जाती हैं घर परिवार में।