Tuesday, 22 November 2022

मैं एक प्राइवेट कर्मचारी हूँ

 मेज से घूरती  धूल 

बिस्तर के छोरों से लटकती चदर 

फ्रिज के ऊपर रखी पिरामिडनुमा दवा बोतलें 

अलमारी के अंदर मचा घमासान 

ग़ुसलख़ाने की नाली पर आंदोलनरत केश 

मैले कपड़ों के पुलिंदे 

पानी को तरसते नन्हे पौधे 

गैस के चूल्हे पर जमा एक गैर जिद्दी दाग 

खाली नमक के डिब्बे के पास रखी भरी नमक की थैली 

दही हांडी वाले दृश्य जैसा डस्टबिन 

और अथक चेहरा 

मुझे पल पल एहसास दिलाता है कि 

मैं एक प्राइवेट कर्मचारी हूँ। 

बदला है तुम्हारा मन क्या?

तारीख बदली है साल बदला है पर बदला है तुम्हारा मन क्या? है जश्न चारों ओर उमंग का न बूझे छोर पर क्या खोज पाए हो अपने मन की डोर? फैला है चहुँओर...