नौकरी उर्फ़ जॉब करने वालों, सुनो।
कुछ बातें तुम्हें कोई नहीं बताएगा
इसलिए तनिक ध्यान से सुनो।
किसी की रिकमेन्डेशन के बदले
नौकरी खुद हासिल करना,
क्योंकि अगर वो संस्था के अंदर हुआ
तो अहसान तले दबे रहोगे।
तनख्वाह अपनी
काबिलियत के हिसाब से पाना
क्योंकि ज्यादा में घिसे जाओगे
और कम में पिसे जाओगे।
गर सीधे सादे हो तो
थोड़ी चालाकियां सीख लेना,
आँख कान खुले रखना,
और नौकरी कितनी भी अच्छी हो
स्वयं को निखारते रहना।
और अंत में यह....
नौकरी बचाने की जगह
अपनी आवाज़ बचाये रखना
क्योंकि आवाज़ ही वजूद है।