कहीं तड़प, तो कहीं रुदन है,
कहीं ख़ामोशी, तो कहीं सिहरन है,
भला कैसा हुनर है ये प्रकृति का,
सारे मसले सुलझा दिए उस मलबे ने,
आज कोई किसी से न रुठन है।
कोई चला था ख्वाब लिए, तो कोई शबाब लिए,
कोई चला था खुशखबरी लिए, तो कोई बेफिक्री लिए,
कोई खफा था, तो कोई मनाने को बेक़रार था,
कोई बीते राग गुनगुना रहा था, तो कोई नए आजमा रहा था,
एक झटकेभर ने याद दिला दिए भूले-बिसरे हसीन किस्से,
अपने तो दफना दिए गए, अब कहें तो कहें किससे ?
आज हर कहीं सिर्फ यही चर्चा है,
कितने मरे और कितनों का जिस्म बचा है,
नई तारीख दर्ज हो गई इतिहास के पन्नों में,
अनचाही, अमिट, यादों के इन कोनों में,
समय का मरहम इस घाव पर भी लग जाएगा,
कफ़न तो चैन में है,
पर ये इंसान न जाने कब चैन से रह पाएगा,
चैन से सो पाएगा ??
कहीं ख़ामोशी, तो कहीं सिहरन है,
भला कैसा हुनर है ये प्रकृति का,
सारे मसले सुलझा दिए उस मलबे ने,
आज कोई किसी से न रुठन है।
कोई चला था ख्वाब लिए, तो कोई शबाब लिए,
कोई चला था खुशखबरी लिए, तो कोई बेफिक्री लिए,
कोई खफा था, तो कोई मनाने को बेक़रार था,
कोई बीते राग गुनगुना रहा था, तो कोई नए आजमा रहा था,
एक झटकेभर ने याद दिला दिए भूले-बिसरे हसीन किस्से,
अपने तो दफना दिए गए, अब कहें तो कहें किससे ?
आज हर कहीं सिर्फ यही चर्चा है,
कितने मरे और कितनों का जिस्म बचा है,
नई तारीख दर्ज हो गई इतिहास के पन्नों में,
अनचाही, अमिट, यादों के इन कोनों में,
समय का मरहम इस घाव पर भी लग जाएगा,
कफ़न तो चैन में है,
पर ये इंसान न जाने कब चैन से रह पाएगा,
चैन से सो पाएगा ??