Saturday, 7 March 2015

लोग कहते हैं कि 'छोटा भाई बिगड़ गया है', और वो कहता है कि 'यारों , ज़माना बदल गया है। '

पिता  ने सबको फटकारा,
          छोटे भाई को सिर्फ दुलारा,
माँ की लोरी सुन हम दुपहरिया में भी सोए,
          छोटे भाई ने तो हर दिन खेलते गुजारा,
हमने पुरानी किताबों को जिल्द चढ़ा नया बनाया,
          छोटे ने नई को पुराना बनाया,
हम अभावों में भी शान से जिए,
           उसने अभावों को है नकारा,
आज लोग कहते हैं कि 'छोटा भाई बिगड़ गया है',
           और वो कहता है कि 'यारों , ज़माना बदल गया है। '


हमने अम्मा के हाथों से निवाला खाया,
           उसने अम्मा को सिर्फ बीमार पाया,
तारों को निहारते हुए हमने रातें गुजारीं,
            उसने सिर्फ फिल्मों में ही है चाँद को पाया,
हमने चवन्नी-अठन्नी को गुल्लक में था डाला,
            उसने कागज़ी  नोटों को ही है संभाला,
  सस्ते खिलौनों में हमारी दुनिया बसती थी,
            आज उसके लिए हर चीज़ है सस्ती,               
 सच यार, लोग कहते हैं कि 'छोटा भाई बिगड़ गया है',
           और वो कहता है कि 'यारों , ज़माना बदल गया है। '

बदला है तुम्हारा मन क्या?

तारीख बदली है साल बदला है पर बदला है तुम्हारा मन क्या? है जश्न चारों ओर उमंग का न बूझे छोर पर क्या खोज पाए हो अपने मन की डोर? फैला है चहुँओर...