Friday, 14 August 2015

Aazaadi

आजाद। … आजादी....
सुने-सुनाए अल्फाज हैं ,
पर आज़ादी है क्या ?
ये जानना जटिल काज है। 

किताबें कहती 68 साल पुराना इतिहास हैं,
पर मैं २२ वर्ष पुरानी कैसे मान लूँ कि वतन आज़ाद है। 

कहते हैं देश में लोकतंत्र है,
यहाँ बसता 'प्रेम और एकता' का मूलमंत्र है,
सरकारी संपत्ति को सहजना चाहिए,
स्वतंत्रता सेनानियों के आदर्शों पर चलना चाहिए,
                                जरा कोई पूछे संसद के हंगमेबाजों  से,
                                क्या उन्हें ये सब नहीं  समझना चाहिए ?

. कैसे?… आखिर कैसे? कह दूँ कि हिंदुस्तान आज़ाद है ,
जब मेरी कलम भी विदेशी फैक्ट्री में हुई ईजाद है। । 

अंत में..... 
शहीदों को नमन कर कहती हूँ कि,
हाँ , हमारी धरती आज़ाद है,
मेरे मुल्क में लोकतंत्र राज है,
चंद देशवासियों को ही सही,
भारत माँ से अटूट प्यार है,
इस देश के लिए मेरी जान भी निसार है। ।

     जय हिन्द 



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