मुश्किल था..
मुश्किल था..
उन्हें रह रहकर खांसते देखना
शरीर के तापमान का चढ़ना उतरना
कमजोरी का आँखों से बदन के हर जर्रे तक जा पहुंचना
और मुश्किल से भी मुश्किल था
उनसे ये सुनना
कि बेटा, मेरे बिस्तर से दूर रहो
और जाओ जाकर फिर से हाथ धो लो।
मुश्किल था..
उन्हें रह रहकर खांसते देखना
शरीर के तापमान का चढ़ना उतरना
कमजोरी का आँखों से बदन के हर जर्रे तक जा पहुंचना
और मुश्किल से भी मुश्किल था
उनसे ये सुनना
कि बेटा, मेरे बिस्तर से दूर रहो
और जाओ जाकर फिर से हाथ धो लो।
बहुत दर्दनाक था...
उनके ऑक्सीजन लेवल का एकदम से गिरना
शरीर की तपन का वाष्प हो आँखों से रिसना
'मैं घर पर ही ठीक हो जाउंगी' गुहार करना
और अस्पताल के लिए तैयार थैले में कंघी, रबर बैंड और एक नया सूट रखवाना।
थोड़ा राहत भरा था...
अस्पताल में उनके ऑक्सीजन लेवल का बढ़ना
'आपका पेशेंट जल्द ही ठीक हो जाएगा' डॉक्टर का कहना
ऑक्सीजन मास्क में ही सही उन्हें वीडियो कॉल पर देखना
और उम्मीदों का हल्की मुस्कान बन तैरना।
डर से परिपूर्ण था
सुबह छह बजे से उनका फ़ोन नहीं उठना
अस्पताल का नंबर नहीं लगना
डॉक्टर का फ़ोन नहीं उठना
और अंततः डॉक्टर से संपर्क हो पाना
और उनका सिर्फ यह बताना कि
'शी इज ऑन वेंटिलेटर'।
असहनीय था..
असहनीय था..
ये अंदाजा होते हुए कि फ़ोन नहीं उठेगा
हर घड़ी उनका नंबर मिलाना,
उनके वार्ड के बाहर खड़े हो
उनसे मिलने देने की रिक्वेस्ट करना,
घर पहुँचने पर अस्पताल का फ़ोन बजना
और उनके दम तोड़ने की खबर का
घर के हर कोने तक जा पसरना।
जरुरी है...
बेहद जरुरी है...
यादों की भीनी सुगंध से घर को महकाना
और दुख दर्द को हकीकत की चादर ओढ़
हिम्मती सा नजर आना।